इससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगभग एक हो जाएंगी। मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सामान सस्ता होगा।
अप्रत्यक्ष कर की इस नई व्यवस्था से अर्थव्यवस्था को 60 लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा। पेश है जीएसटी, अब तक इसके सफर और आगे की संभावना पर दीपक मंडल का विश्लेषण।
क्या है जीएसटी
जीएसटी एक वैट है, जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। मौजूदा दौर में वैट सिर्फ वस्तुओं पर लागू होता है। जीएसटी दो स्तरों पर लगेगा।
एक केंद्रीय जीएसटी होगा, जबकि दूसरा राज्य का। इससे पूरा देश एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में समाहित हो जाएंगे।
केंद्र के स्तर पर यह केंद्रीय उत्पाद
शुल्क, सेवा कर और अतिरिक्त सीमा शुल्क और राज्य स्तर पर वैट, मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी
टैक्स और बिजली शुल्क को समाहित कर लगेगा।
केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी। अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से चीजों के दाम घटेंगे और आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
सरकार की टैक्स वसूली की लागत भी घट जाएगी। जीएसटी दर का खुलासा नहीं हुआ है। ज्यादातर देशों में यह 14 से 16 फीसदी तक है।
केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी खत्म हो जाएगी। अलग-अलग टैक्स की बजाय एक टैक्स लगने की वजह से चीजों के दाम घटेंगे और आम उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
सरकार की टैक्स वसूली की लागत भी घट जाएगी। जीएसटी दर का खुलासा नहीं हुआ है। ज्यादातर देशों में यह 14 से 16 फीसदी तक है।
राज्यों को अपने राजस्व और स्वायत्तता के नुकसान का डर था। सबसे बड़ा
विरोध पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए जाने वाले टैक्स को लेकर था। राज्यों का 50 फीसदी
राजस्व इसी से आता है।
राज्य केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाने की वजह से होने वाली राजस्व हानि को लेकर भी चिंतित थे। सीएसटी अंतर राज्य कारोबार पर लगने वाला टैक्स है।
निर्यात करने वाले राज्य की ओर से लगाए जाने वाले इस टैक्स को 2007 में चार फीसदी से घटा कर दो फीसदी कर दिया गया था।
केंद्र ने राज्यों को 2010 तक इसकी भरपाई का वादा किया था। लेकिन 2010 के बाद केंद्र ने इसे बंद कर दिया था। विरोध की यह बड़ी वजह थी।
राज्य केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) खत्म हो जाने की वजह से होने वाली राजस्व हानि को लेकर भी चिंतित थे। सीएसटी अंतर राज्य कारोबार पर लगने वाला टैक्स है।
निर्यात करने वाले राज्य की ओर से लगाए जाने वाले इस टैक्स को 2007 में चार फीसदी से घटा कर दो फीसदी कर दिया गया था।
केंद्र ने राज्यों को 2010 तक इसकी भरपाई का वादा किया था। लेकिन 2010 के बाद केंद्र ने इसे बंद कर दिया था। विरोध की यह बड़ी वजह थी।
चूंकि राज्यों के राजस्व का 50% पेट्रो उत्पादों पर लगने वाले टैक्स
से आता है लिहाजा उन्हें राहत देने के लिए इसे जीएसटी में शामिल करने के बावजूद केंद्र
इस पर तीन साल तक टैक्स नहीं वसूलेगा।
राज्य तीन साल तक इस पर टैक्स वसूल सकते हैं। केंद्र ने सीएसटी का भुगतान बंद होने पर राज्यों को होने वाले घाटे की भरपाई के लिए इस वित्त वर्ष में 11000 करोड़ रुपये देने का वादा किया है।
केंद्र डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले कारोबारियों से टैक्स वसूलेगा। अल्कोहल और तंबाकू पर टैक्स उगाही राज्य ही करेंगे।
राज्य तीन साल तक इस पर टैक्स वसूल सकते हैं। केंद्र ने सीएसटी का भुगतान बंद होने पर राज्यों को होने वाले घाटे की भरपाई के लिए इस वित्त वर्ष में 11000 करोड़ रुपये देने का वादा किया है।
केंद्र डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार करने वाले कारोबारियों से टैक्स वसूलेगा। अल्कोहल और तंबाकू पर टैक्स उगाही राज्य ही करेंगे।
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